अंधविश्वास का अंत: एक छोटी सी कहानी
शीर्षक: "अंधविश्वास का अंत: एक छोटी सी कहानी"
कहानी:
यह कहानी "सुमित्रा" नामक एक गाँव की बात है, जहाँ के लोग अंधविश्वासों में उलझे हुए थे। गाँव में एक बड़ा पेड़ था, जिसे सभी लोग "भूतिया वृक्ष" के रूप में डरते थे। इसे माना जाता था कि इस पेड़ में भूत हैं और जिस किसी ने इसके पास जाते हुए अंधविश्वास में इसके बारे में सोचा भी, उसके साथ बुरा हो जाता था।
इस गाँव में एक छोटी सी लड़की नामक "दीपा" रहती थी, जो इस भूतिया वृक्ष के पास रहती थी। वह बड़ी ही निर्भीक और विश्वासी लड़की थी, जो किसी भी अंधविश्वास को मानने से इंकार करती थी।
एक दिन, दीपा के दोस्त "राहुल" ने उसे आमंत्रित किया कि उन दोनों मिलकर उस भूतिया वृक्ष के पास जाएं और देखें कि क्या सचमुच में कुछ अलग होता है।
दीपा, जो हमेशा सच को जानने के लिए तैयार रहती थी, राहुल के साथ सहमत हो गई। वे दोनों मिलकर उस वृक्ष के पास पहुँचे। वहाँ पहुँचकर, उन्होंने देखा कि वह पेड़ एकान्त स्थित है और कुछ भी असामान्य नहीं लग रहा है।
राहुल, जो पहले डरा हुआ था, अब हंसी में लिपटा था। दीपा ने उसे समझाया कि अंधविश्वासों का अंत करने के लिए यही सही समय है। उन्होंने उसे बताया कि यह सब बस मनोविज्ञानिक भ्रांतियाँ हैं और किसी भी पेड़ या जगह में भूत नहीं होते।
दीपा ने राहुल के साथ मिलकर लोगों को शिक्षित करने का निर्णय लिया। वे गाँव के लोगों को अंधविश्वासों के बारे में जागरूक करने के लिए एक सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किया।
उनकी मेहनत और जागरूकता ने लोगों को अंधविश्वासों से मुक्ति प्राप्त करने में मदद की। गाँव के लोगों ने उनकी योजना का स
मर्थन किया और अंततः उनके द्वारा आयोजित किया गया समाजिक कार्यक्रम सफल रहा।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अंधविश्वासों को नकारने के लिए सच्चाई का साथ देना चाहिए और जागरूकता फैलानी चाहिए। अंधविश्वासों से लड़कर हम अपने समाज को उन्नति की राह पर ले जा सकते हैं।
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